कविता कानन
मन किसी अज्ञात पीड़ा
मन किसी अज्ञात पीड़ामें चेतनाशून्य हो गया थामन का अंधकार रात्रिके उस गहनअंधकार में छटपटा रहा थाउस सूर्योदय कीप्रतीक्षा मेंअपार…
लग रहा ये मंज़र भी गज़ब का ख़ूबसूरत है जो तू संग मेरे है
लग रहा ये मंज़र भी गज़ब का ख़ूबसूरत है जो तू संग मेरे है।शब्दों के जाल में कहीं उलझ ना…
निश्छल स्त्री और प्रेम
पुरुषों को प्रेम के लिएहमेशा जतन करने पड़ेउसने युद्ध तोबहुत सारे जीतेपर स्त्री का मनकभी जीत नहीं पाया श्रेष्ठता प्राप्त…

नख शिख वर्णन
एक रुपसि है अति सुन्दर ,विधि ने उसे सजाया है ,सर से लेकर पांव के नख तक ,फुर्सत मे ही…

कुछ गुनगुनाएँ
प्रेम मुस्काना नहीं तो , तुम कहो यह और क्या है ।यदि नहीं है सार नारी , तो कहो यह…


राम नाम का जाप कर
राम नाम का जाप कर,राम ये पावन नाम,राम के सच्चे जाप से,पायेगा आराम, राम नाम जो जापता,सुख पावे बो चैन,राम…