बिहार स्टेट हेड श्रवण आकाश की कलम से
खगड़िया जिला के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत कई क्षेत्रों में चिकित्सक विभाग की लचपच व्यवस्था के कारण वर्तमान समय में बिना डाॅक्टर व चिकित्सक के चल रहे अस्पताल। हैरानी की बात है कि जब गरीब मजबूर व बेवस मरीजों का काफिला बिहार सरकार के लाखों – कड़ोड़ो रुपए की लागत से बनी अस्पताल की ओर जाती है तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं। वहीं आइए बात करते हैं परबत्ता सीएचसी व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तो वहां हर जगहों पर चिकित्सकों व डाॅक्टरों को भेजने को लेकर सर ठोकते नजर आतें हैं सीएचसी परबत्ता के नये प्रभारी डॉ राजीव रंजन। पुछताछ में गहरे शोक भरे अंदाज में बताते हैं कि क्या करें सर जब डाॅक्टर हांइये नै हैं तो कहवा से भेजें, ज्यादा करेंगे तो इतना ही कर सकते हैं कि उहां के डाॅक्टर को इहां भेज देंगे। अर्थात वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग में डाॅक्टरों की घोर स्कारसिटी व कमी। जिसपर पदाधिकारियों का ध्यान अब तक नहीं है।

आइए अब बात करते हैं सियादतपुर अगुवानी पंचायत अंतर्गत डुमरिया बुजुर्ग गांव में बनी प्राथमिक उप स्वास्थ्य केन्द्र की जहां ड्यूटी पर तैनात ए ग्रेड स्वास्थ्य कर्मचारी माला देवी और सुलोचना देवी ने पुछताछ में बताई कि पिछले एक महीने पुर्व से हीं यहां कार्यरत डाॅ कशिश के अवकाश में जाने के बाद व हम दोनों की लाखों निवेदनों के बावजूद भी अभी तक कोई डाक्टर नहीं दिया गया है। जिसके कारण मुझे हीं मरीजों की देखरेख का जिम्मा दिया गया है और मैं मिला जुलाकर किसी तरह सब मरीजों को देखकर कर दवाई देती रहती हुं। हालांकि दो एन एम बेबी देवी और गायत्री देवी अपने सिनियर के कथनानुसार क्षेत्रों में हीं महीनों से वैक्सिनेशन में रहती है। यहां प्रत्येक दिन दर्जनों मरीजों का आना जाना लगा रहता है। इतना कुछ जानने के बाद अब आप ही बताइए कि सरकारी अस्पतालों में सुदुर गांव के गरीब मजबूर मरीजों का उचित इलाज क्या और कहां तक संभव है ?