पंद्रह वर्षों से विद्यालय की खेतिहर जमीन पर उपजे फसल को बेचकर आदेशपाल व प्रधानाचार्य हो रहे मालामाल

भ्रष्टाचार की जाल में जकड़ा है गोपालपुर प्रखंड के एसबीसी हाई स्कूल लत्तीपाकर धरहरा

विद्यालय प्रधानाचार्य, आदेशपाल व एक शिक्षक के संरक्षण में चल रहा है गोरखधंधा

अनुमंडल पदाधिकारी स्वयं करेंगे विद्यालय की जांच

बसंत कुमार चौधरी /नवगछिया। गोपालपुर प्रखंड के धरहरा पंचायत स्थित एसबीसी उच्च विद्यालय लत्तीपाकर भ्रष्टाचार की जाल में जकड़ा हुआ है। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य सहित आदेशपाल व अन्य शिक्षक मिलकर पंद्रह वर्षों से विद्यालय की जमीन से व्यक्तिगत लाभ ले रहे हैं। इससे विभाग को लाखों रूपीए का नुकसान हो रहा है। इस विद्यालय में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि वर्षों से ये सब चल रहा है और विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नही है। बता दें कि विद्यालय के आसपास लगभग 21 एकड़ विद्यालय की अपनी जमीन है। सभी जोत जमीन में से कुछ अंश पर विद्यालय और खेल का मैदान है। कुछ जमीन पर कई तरह के पेड़ पौधे लगे हुए हैं। इसका देखरेख विद्यालय के आदेशपाल करते हैं। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार विद्यालय की पौने दो बीघा खेतिहर जमीन पर प्रत्येक वर्ष दो बार फसल बोते हैं। उपजाऊ भूमि के अलावा पेड़ पौधे वाले भूमि पर कई तरह के पेड़ लगे हैं। आदेशपाल विभाग को चुना लगाकर पौने दो बीघा जमीन पर लगी गेहूं फसल को काटकर तैयारी कर बेच दिया। वही उस खेत की फिर से जुताई कर दूसरी फसल बोने की तैयारी कर रहे हैं। ज्ञात हो कि विगत पंद्रह वर्षों से आदेशपाल विद्यालय की जमीन पर खेती कर रहे हैं और इसका पूरा लाभ विद्यालय के एचएम सहित अन्य शिक्षक आपस मे बांट लेते हैं। बीते माह ही तीन बड़े शीशम के पेड़ को अज्ञात लोगों के द्वारा काटकर गायब कर दिया गया। मामला संज्ञान में तब आया जब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक विद्यालय जांच में पहुंचे थे। जहां विद्यालय की घेराबंदी का आदेश दिया। विद्यालय की जमीन की पैमाइश हुई लेकिन बताया जा रहा है कि पैमाइश रिपोर्ट अंचल से विद्यालय को नही दिया गया। जिस कारण विद्यालय को अपनी कितनी जमीन है यह साफ तौर पर स्पष्ट नही हो सका है। वही विद्यालय के प्रभारी एचएम को इस मामले की कोई सटीक जानकारी नही है। इधर उनके ही आदेशपाल प्रतिवर्ष लाखो रूपीए का चुना विभाग को लगा रहे हैं। इस विद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितता तभी उजागर होगी जब सही तरीके से इसकी जांच होगी। विद्यालय में मैदान तो है लेकिन खेल का समान नही है। आईसीटीसी वाले कंप्यूटर लैब को आदेशपाल अपने सायं कक्षा के रूप में उपयोग करते है। जिसमे बेंच लगा हुआ है। लिपिक नही है। वरीय शिक्षक मनोज कुमार सदैव विद्यालय के लिपिक कार्य मे रहते हैं। तीन आदेशपाल रहने के बावजूद परिसर में गंदगी फैली रहती है। ग्रामीणों का आरोप है कि विद्यालय में अनियमितता ही अनियमितता व्याप्त है। विद्यालय विकास फंड की लाखो रूपीए इन सभी ने आपस मे बांटकर खा गया।

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विद्यालय की 21 एकड़ जमीन है लेकिन जमीन का रसीद नही है। विद्यालय प्रभारी प्रधानाचार्य का प्रमोशन ट्रांसफर सुल्तानगंज प्रखंड में हो गया है लेकिन उन्होंने अबतक योगदान नही दिया है। जबकि विभाग द्वारा दो माह पूर्व ही लिस्ट जारी कर दिया गया है लेकिन विद्यालय के शिक्षकों व प्रभारी प्रधानाचार्य के द्वारा योगदान नही देना कही न कही भ्रष्टाचार की ओर संकेत करती है। ज्ञात हो कि प्रत्येक दिन बीआरपी द्वारा विद्यालय निरीक्षण में किसी तरह की कमियां कभी नजर नही आई। जो बीआरपी के द्वारा जांच के नाम पर खानापूर्ति की ओर इशारा करती है। विद्यालय में जब कोई मीडियाकर्मी या ग्रामीण इन सब बातों को उजागर करने का जोखिम उठाते हैं तो उनलोगों पर कई तरह से दबाव बनाया जाता है। विद्यालय एचएम और शिक्षक किसी भी इस तरह की अनियमितता पर प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारियों तक मैनेज होने की बात कहा जाता है। मामले जो भी हो यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा।


ग्रामीणों ने भागलपुर जिलाधिकारी नवल किशोर चौधरी से विद्यालय की जांच अपने स्तर से कराने की मांग की है। इस बारे में नवगछिया अनुमंडल पदाधिकारी उत्तम कुमार ने कहा, की इसकी जानकारी मिली है इसपर जांच करके नियमानुसार कार्यवाई होगा।

क्या कहते हैं पंचायत के मुखिया : – बड़ी मकंदपुर पंचायत के मुखिया विजय सिंह ने कहा कि विद्यालय की संपत्ति, आय व्यय की जांच हो। विद्यालय की जमीन पर खेती हो रही है इसकी जानकारी है। विद्यालय एचएम विद्यालय के सर्वेसर्वा हैं उनके बिना जानकारी के कुछ नही होता है। ग्रामीणों के साथ विद्यालय एचएम से आय व्यय का लेखाजोखा जांच करेंगे।

ग्राम कचहरी के सरपंच नें कहा: – सरपंच ने कहा कि पूर्व में एक बार इसकी चर्चा हुई थी लेकिन इसके बाद कभी कोई चर्चा नहीं हुई। विधायक जी भी विद्यालय नहीं आते हैं। विद्यालय में बैठक शिक्षा समिति की बैठक कई वर्षों से नहीं हुई है। सिर्फ कागज पर ही काम चलता है। अब वह ग्रामीण से मिलकर इस पर पहल करेंगे और इसे उजागर करेंगे ।

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