अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए गायत्री मंत्र साधना है जरूरी :- मनीष कुमार
श्रवण आकाश, खगड़िया जिला मुख्यालय के सीढ़ी घाट में अवस्थित अतिप्राचीन गायत्री शक्तिपीठ में शनिवार को अखिल विश्व गायत्री परिवार के गायत्री परिजनों और युवा साधकों के द्वारा युवा उत्कर्ष (Youth Expo) कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विधिवत प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ पटना से आये गायत्री परिवार के अतिथियों और जिला ट्रस्टी आदि के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। जबकि मंच का संचालन अमोद कुमार यादव ने किया। इसके दौरान युवा गायक कलाकार आदर्श कुमार व अन्य गायत्री साधकों ने स्वागत गीत के अलावा कई प्रज्ञा गीत प्रस्तुत किया गया। उपस्थित जिला ट्रस्टी अरविंद प्रसाद हिमांशु, व्यवस्थापक जगदीश प्रसाद पौग्ला,
श्रीमती शोभा कुमारी आदि के द्वारा मंत्र चादर और वेदमाता गायत्री की तस्वीरें के साथ तिलक लगा सम्मानित किया।

वहीं प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के संचालक सह मुख्य अतिथि श्री मनीष कुमार ने बताया कि आज बहुत ही सौभाग्य की बात है कि मुझे कोशी की पावन भूमि खगड़िया में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, खगड़िया की मिट्टी साधारण मिट्टी नहीं है, यहाँ की मिट्टी ऊर्जावान और तेजस्वी है। दुनिया में सफलता और असफलता का बीच का अंतर परिश्रम और मेहनत का है। प्रत्येक मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है । जो जैसा सोचता है- जैसा करता है- वैसा ही बन जाता है, जो व्यक्ति जितना कठिन परिश्रम करता है ,वह उतना ही सफल जीवन में होता है और मनुष्य परिश्रम तभी कर सकता है जब उसका मन और मस्तिष्क में ऊर्जा हो। व्यक्ति के जीवन मे नकारात्मक और सकारात्मक दो तरह की ऊर्जा विद्यमान है; नकारात्मक ऊर्जा मनुष्य को पतन की ओर ले जाती है वही सकारात्मक ऊर्जा मनुष्य को मानव से महामानव बना देती है। मनुष्य के अंदर समस्त शक्तियों का भंडार है वह अपने मनोबल , मन:शक्ति और आतमविश्वास से सब कुछ प्राप्त कर सकता है। अध्यात्म से बड़ा कोई विज्ञान नहीं है, अध्यात्म व्यक्ति के अंदर शक्ति जागृत करता है और इस विज्ञान को अपनाने का सही समय युवा अवस्था ही होता है और छात्र जीवन में युवाओं को खासकर आध्यात्मिक शक्ति की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है। युवाओं को अपने अंदर के अंधकार को दूर करके अंदर ही ज्योति जलानी होगी। प्रत्येक युवा को अपना दीपक स्वयं बनाना चाहिए “अप्प दीपो भव:” अपना दीपक खुद बने , बाहर प्रकाश तलाशने की जरूरत नहीं है। अंत:करण को पवित्र करके युवाओं को आगे बढ़ने की तैयारी करना चाहिए एवं विचार को बदलने के लिए साहित्यों को शरण लेना चाहिए। मनुष्य को अपने आंतरिक प्रसुप्त शक्तियों को जगाने के लिए नियमित ध्यान और गायत्री मंत्र करना चाहिए , इससे मनुष्य के अंदर सकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक विचार की हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते है। जो व्यक्ति नियमित गायत्री मंत्र और सूर्य का ध्यान करता है उसका मस्तिष्कीय क्षमता का विकास होता है इसके साथ memory power , I.Q , E.Q लेवल बढ़ता है।इन युवाओं के अन्दर सकारात्मकता पैदा मेडिटेशन के माध्यम से किया जा सकता है। हम सभी युवाओं से आग्रह करते है कि अगर आपको अपने जीवन को बेहतर बनाना है तो प्रत्येक दिन 20 से 30 मिनट ध्यान (मेडिटेशन) जरूर करे।
इसके पश्चात् प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के युवा प्रवक्ता निशांत रंजन ने कहा कि गायत्री मंत्र युवाओं को स्मार्ट बनाने का मंत्र है, जिससे युवाओं को सद्बुद्धि और सन्मार्ग मिलता है। वर्तमान समय में युवाओं को भटकाने वाले काफी साधन उपल्बध है जैसा कि फेसबुक, युट्यूब, इंस्टाग्राम, पब्जी आदि जो कम उम्र के युवाओं को निगेटिव रास्ते के तरफ अग्रसर कर रही है। कम उम्र के युवाओं में यह सोच विकसित नहीं हो पाता कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। अगर उनकी सोच में सकारात्मकता लाई जाए, तो जिस संसाधन का उपयोग सकारात्मक कार्यों के लिए होनी चाहिए वो कभी भी उनका उपयोग नकारात्मक क्षेत्र में नहीं करेंगे। इन युवाओं के अन्दर सकारात्मकता पैदा मेडिटेशन के माध्यम से किया जा सकता है। आज युवा अधिकारी तो बन रहे हैं, डॉक्टर तो बन रहे है, इंजीनियर तो बन रहे हैं, लेकिन सेवा-भावी एवं इंसान या मानवता युक्त नहीं बन पा रहे हैं। इसका परिणाम सबसे अधिक परिवार को भुगतना पड़ रहा हैं। जब आप वृद्ध आश्रम में जाते हैं तो पता चलता है कि अच्छे–अच्छे अधिकारी के माँ-बाप इस में जिल्लत की ज़िंदगी जी रहे हैं। इन्हीं समस्याओं का समाधान अखिल विश्व गायत्री परिवार कर रहा है, जिसमें युवा प्रकोष्ठ युवाओं को सजग, जागरूक, शालीन और सभ्य बनाते हुए शिक्षित कर रहा है।
जबकि जिला युवा संयोजक अमित कुमार ने कहा कि”युथ एक्पो” का मतलब युवा उत्कर्ष जिसका एकमात्र लक्ष्य युवाओं को लक्ष्य के प्रति सकारात्मक ऊर्जा प्रेरणा प्रदान करना और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना। उन्होंने कहा कि भगवान को दूध चाहिए ना बताशा चाहिए, भगवान तो अंदर के कर्मों से प्रभावित होते हैं ना की बाहर के चीजों से प्रभावित होते हैं। भगवान को बाहर के चीजों से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, भगवान तो अंदर से प्रभावित होते हैं। युवा प्रकोष्ठ का हर एक कार्यक्रम युवाओं के व्यक्तित्व व चरित्र निर्माण, राष्ट्र निर्माण, स्वावलंबन आदि पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं को सकारात्मक रहकर अपनी क्षमता का विकास करना चाहिए। नकारात्मक लोगों से दूर रहना चाहिए, दूसरे के गुणों की तारीफ कर अपने व्यक्तित्व को परिष्कृत करना चाहिए। अपनी बुद्धि की क्षमता को विकसित करें और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने का निरंतर प्रयास करें। मौके पर सत्यम कुमार, माधुरी देवी, प्रिंस कुमार, प्रभा कुमारी, अभिषेक, प्रेम कुमार रंजन, राजा कुमार, सुमन कुमार समेत हजारों छात्र युवाओं की मौजूदगी देखी गई।