राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अब वही शिक्षक आवेदन कर सकते हैं जिनकी सेवावधि न्यूनतम दस वर्ष होगी।

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प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर बिहार के शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रपति एवं राजकीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रपति पुरस्कार के रूप में शिक्षकों को 50 हजार रूपये की राशि का चेक एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। उन्हीं शिक्षकों को राज्य सरकार के द्वारा भी 30 हजार रुपए की राशि का चेक सम्मान स्वरूप दिया जाता है। जबकि राजकीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को 15 हजार रुपए की राशि का चेक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। बिहार के शिक्षकों को अधिक से अधिक इस पुरस्कार के लिए आवेदन करने हेतु जागरूक करने के उद्देश्य से बिहार की सबसे बड़ी प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी टीचर्स ऑफ बिहार के द्वारा रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पेज पर एक्सक्लूसिव टॉक शो ‘सवाल आपके, जवाब हमारे’ का आयोजन किया गया।

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इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेता अनिल कुमार सिंह (2023), कुमारी गुड्डी (2023), द्विजेंद्र कुमार (2023), सौरव सुमन (2022), हरिदास शर्मा (2021) एवं पप्पू हरिजन (2019) शामिल हुए।

कार्यक्रम से जुड़े हुए शिक्षकों के सवालों का जवाब देते हुए अतिथियों ने कहा कि राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए बिहार के सभी शिक्षक चाहे वह नियमित हो या नियोजित सभी तरह के शिक्षक अर्थात प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक एवं प्रधानाध्यापक आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2023 में ही विभाग द्वारा यह संशोधन किया गया है कि अगले वर्ष 2024 से केवल वही शिक्षक एवं शिक्षिका आवेदन कर सकते हैं जिनकी सेवावधि न्यूनतम 10 वर्ष पूर्ण होगी।

राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए बिहार से अधिकतम 6 शिक्षक/शिक्षिकाओं का चयन किया जा सकता है परंतु अभी तक किसी भी वर्ष अधिकतम शिक्षक/शिक्षिकाओं को राष्ट्रपति पुरस्कार नहीं मिल पाया है। इसके लिए प्रत्येक वर्ष जून-जुलाई महीने में विभाग के द्वारा आवेदन आमंत्रित किया जाता है। एक ही आवेदन से राष्ट्रपति एवं राजकीय दोनों पुरस्कार के लिए चयन किया जाता है। विदित हो कि स्क्रूटनी के क्रम में प्रत्येक जिले से अधिकतम 3 शिक्षकों के नाम की अनुशंसा जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा की जाती है। फिर भी प्रत्येक जिले से शिक्षकों के द्वारा आवेदन नहीं भरा जाता है। जिसके कारण किसी-किसी जिले से एक भी शिक्षकों का चयन राजकीय पुरस्कार के लिए भी नही हो पाता है। उन्होंने कहा कि आवेदन की प्रक्रिया थोड़ी जटिल जरूर है लेकिन उतना भी जटिल नहीं है कि कोई शिक्षक ठीक तरह से आवेदन भी नहीं भर पाएं।

आवेदन करने के लिए शिक्षकों को अपने शैक्षिक उपलब्धियों से संबधित दस्तावेजीकरण करना अनिवार्य होता है। इसलिए अगले वर्ष 2024 के लिए आवेदन करने के इच्छुक शिक्षक/शिक्षिका अभी से ही अपने कार्यों की दस्तावेजीकरण करते रहें।

कार्यक्रम को मॉडरेट करते हुए टीचर्स ऑफ बिहार के फाउंडर शिव कुमार ने कहा कि टीचर्स ऑफ बिहार के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े शिक्षक एवं शिक्षिका जो नियमित रूप से अपने विद्यालय में आयोजित नवाचारी गतिविधियों का दस्तावेजीकरण करते रहते हैं उनकी सुविधा के लिए बहुत जल्द ही बिहार के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों का विवरण टीचर्स ऑफ बिहार के मंच पर साझा किया जाएगा। जिनसे संबधित शिक्षक व्यक्तिगत रूप से संपर्क स्थापित कर आवेदन के क्रम में आने वाली तकनीकी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

कार्यक्रम का संचालन टीचर्स ऑफ बिहार के फाउंडर पटना जिले के शिक्षक शिव कुमार एवं टीम लीडर भागलपुर जिले की शिक्षिका नम्रता मिश्रा ने किया।

उक्त जानकारी टीचर्स ऑफ बिहार कर प्रदेश प्रवक्ता अररिया जिले के शिक्षक रंजेश कुमार एवं प्रदेश मीडिया संयोजक पूर्वी चंपारण जिले के शिक्षक मृत्युंजय ठाकुर ने संयुक्त रूप से दी।

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