सुरक्षा व्यवस्था में खामी देख वापस लौट गया उद्यमी, लगता भागलपुर में नहीं लग पायेगा उद्योग ।। InquilabIndia

IMG 20210710 073416

भागलपुर। कहलगांव स्थित बियाडा की अर्जित जमीन पर उद्योग लगने थे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। लोगों को आस थी कि यहां कारखाने लगने के बाद रोजगार बढ़ेगा। जो पलायन कर बाहर गए हैं, वे वापस आ जाएंगे। लेकिन सुरक्षा व व्यवस्था की खामियों के कारण कहलगांव बियाडा की जमीन पर उद्योग लगाने आए उद्यमी यहां का माहौल वापस लौट गए। यही नहीं, जमा की गई सिक्योरिटी रकम भी वापस ले लिए। अब तो यहां उद्यमी आने को भी तैयार नही हैं।

एक हजार एकड़ जमीन, नहीं लगी फैक्ट्री

वर्ष 1995 के पहले कहलगांव में बभनगामा, कुतुबपुर, अलीपुर, विशनपुर, हबीपुर, लोगाई मौजा में करीब एक हजार एकड़ जमीन अर्जित की है। अर्जित जमीन पर उद्योग नहीं लगा, उद्यमी आए भी लेकिन बदइंतजामी के चलते बेरंग होकर वापस लौट गए।

  • – सुरक्षा व्यवस्था में खामी और अन्य कमियों के कारण लौट गए उद्यमी
  • -कंपनियों को प्रशासन का नहीं मिला साथ
  • – 2013 से सिक्यूरिटी राशि लेकर लौट गए बड़े निवेशक

कंपनियों ने दिखाई थी दिलचस्पी, निराश लौट गए

जमीन नहीं मिलने के कारण 11 अगस्त 2013 में प्रस्तावित फूड पार्क वापस हो गया। एक हजार करोड़ से केंवेटर, शक्ति सुधा व बिग बाजार और पैंटालून के एमडी ने मेगा फूड पार्क की स्थापना करने का निर्णय लिया था। टेक्सटाइल पार्क ने 150 एकड़, मेगा हैंडलूम पार्क के लिए 25 एकड़, आधुनिक पावर नेच्युरल रिसोर्सेज ने 300 एकड़, स्टार सेंच्युरी सीमेंट फेक्ट्री ने 60 एकड़, ग्रीन वैली सीमेंट कम्पनी ने 30 एकड़, सर्वोत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर, अशोक मेडिकल कॉलेज आदि ने जमीन लीज पर ली थी। स्टार सीमेंट फैक्ट्री पूरी तैयारी के साथ आई थी। कंपनियों ने जब फैक्ट्री लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ की तो स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया।

फूड पार्क से किसानों को मिलता वाजिब कीमत

कहलगांव, पीरपैंती और सन्हौला समेत कई प्रखंड क्षेत्र में सब्जी का उत्पादन करते हैं। फूड पार्क की स्थापना होती है तो किसानों को बाजार के साथ रोजगार मिल सकता था। साथ ही फसलों की खरीद में प्राथमिकता मिलती। इस क्षेत्र में आम, चावल, गन्ना, टमाटर, मिर्च की अच्छी पैदावार होती है। नवगछिया में मक्का, लीची की अच्छी पैदावार होती है। अगर फूड पार्क की स्थापना हो जाती तो चिप्स, टोमैटो सास, मैंगो पेय, बिस्कुट, ग्लूकोज, केला, चावल, मखाना बार्ली, टोमैटो चेरी, आंवला, आटा, स्टार्च का निर्माण होता। उद्योग स्थापित होता तो पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात आदि शहरों में दो लाख लोगों का पलायन थम जाता।

बियाडा अपने रणनीति में कर रही बदलाव

कहलगांव बियाडा की जमीन को लेकर सरकार अपनी रणनीति बदल रही है। विवाद वाले जमीन को वापस करने की कार्ययोजना दो दिन पूर्व पटना में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया है। बियाडा के एक अधिकारी ने बताया कि जिसमें 1020 एकड़ अधिग्रहण की गई जमीन में से रमजानी मौजा की 223 एकड़ जमीन विवाद के कारण भू-अर्जन मुक्त किया जाएगा। शेष भूमि पर भू-धारक द्वारा वाद दायर किया गया है। कोर्ट और मंत्रीमंडल के निर्णय पर आगे की कार्रवाई होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *