श्रीमद् देवी भागवत कथा जीवन जीने का विज्ञान है :- ब्रह्मऋषि डॉ दुर्गेशाचार्य जी महाराज

श्रवण आकाश, खगड़िया

खगड़िया जिला अंतर्गत परबत्ता प्रखंड क्षेत्र के डुमरिया बुजुर्ग गांव स्थित मां भगवती मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा महायज्ञ का समापन शनिवार को हुई, जिसके समापन की संध्या आखिरी कथा ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने डुमरिया बुजुर्ग गांव हीं नहीं बल्कि पुरे प्रखंड समेत जिले – अंतरजिले की भी कथा प्रेमियों की मौजूदगी देखी गई थी। वहीं मुख्य यजमान के रूप में पवन कुमार, मन्नू देवी, प्रशांत कुमार, कंचन कुमारी, आयोजक डॉ सत्येंद्र कुमार, स्वागत कर्ता पंकज कुमार, समाजसेवी श्रवण आकाश समेत सैकड़ों युवाओं युवतियों ने अपने श्रमदान, समय दान दे आयोजन को सफल बनाया। वहीं श्रीमद् देवी भागवत कथा के आखरी चरण में राष्ट्र संत ब्रह्मऋषि डॉ दुर्गेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत कथा जीवन जीने का विज्ञान है, जिससे हमें जीवन कैसे जीना चाहिए यह बात हमारे ऋषि मुनि इन पुराणों की बातें से हमें सिखाए कि हम भगवान की पूजा करें, मंत्र जाप करें और इस प्रकार से अपने नित्य कर्म करे। मैं देवी देवताओं के साथ माता-पिता, सास – ससुर समेत बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना सीखें। इन्हीं के आशीर्वाद से हम सब के जीवन में खुशहाली आती हैं । आज हमारा युवा वर्ग जो विदेशी संस्कृति की ओर अपनी दिलचस्पी दे उनके दिनदर्या रहन सहन को अपनाया जा रहा है और अपने सनातन धर्म का परित्याग कर रहा है, यदि उसे यह ज्ञान हो जाए कि हमारा सनातन धर्म सबसे महान है। जहां हमारी धर्म में वयोवृद्धों की सेवा करके हमारी आयु बढ़ने की बात बताते हैं, सेवा से हीं हमें विद्या की प्राप्ति होती है। हमारा यश सम्मान बढ़ाते हैं और आंतरिक शक्तियां जो पॉजिटिव एनर्जीयां व सकारात्मक ऊर्जा है,वह हमारे अंदर प्रवेश करती है..

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हम सब अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। उनको अपने सनातन धर्म की शिक्षा दें, उनको भारतीय संस्कृति और संस्कारों से हम ओतप्रोत करें, जिससे हमारा देश फिर विश्व गुरु बने, जगतगुरु बने, हमारी आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा पूरा विश्व पुनः हमें जाने और हमारा आशीष का गौरव पुनः स्थापित हो, यही हमारी ऋषि मुनियों की अवधारणा रही है, कि हम सब उसे परमपिता परमात्मा के संतान है, हम सब आपस में प्रेम सोहार्द भाईचारा से रहे, अपने राष्ट्र, धर्म, राष्ट्रभक्ति और राष्ट्र प्रेम के द्वारा भारत माता का मान सम्मान के लिए अपने बच्चों को अच्छे संस्कारवान बनाएं और जब हमारा युवा उच्च संस्कारों से उच्च चरित्र से और सदाचार युक्त सद्गुणों से ओतप्रोत होगा तब उसका जीवन सुखमय होगा। समृद्धि मय होगा और उसका प्राणी मात्र से प्रेम होने से विश्व बंधुत्व की भावना आएगी और जो हमारे ऋषि मुनियों का जीवन सुखी रहे, निरोग रहें सबका कल्याण हो ऐसी जो महान हमारी संस्कृति की अवधारणा बन वह पुनः धरातल पर स्थापित होगी और मेरा देश का गौरव पुनः संस्थापित होगा। भारत हिंदू राष्ट्र के रूप में सनातन धर्म ध्वज की संवाहक के रूप में विश्व में ख्याति प्राप्त करेगा। एक बार पुनः हमारा गौरव सनातन धर्म का गौरव, विश्व गुरु के रूप में भारत के हर एक बच्चे, युवा – युवतियां और बुजुर्ग गर्व करेगा। श्रीमद् देवी भागवत कथा हमें पारिवारिक समृद्धि खुशहाली राष्ट्रीय एकता अखंडता विश्व शांति भावना के साथ अपने आध्यात्मिक विकास आत्मज्ञान आत्म चिंतन आत्मावल अपने आप आत्मिक उत्थान के लिए प्रेरित करती है और जब हम अंतःकरण से शक्तिशाली बनते हैं, तो उसे आदिशक्ति की कृपा से हम भीतर से और बाहर से जब पूर्ण समृद्ध बन जाते हैं, तब हमारा जीवन मंगलमय होता है। तो नवदुर्गाओं की 9 दिन तक पूजा 9 दिन तक हवन-यज्ञ के साथ श्रीमद् देवी भागवत कथा जब राजा परीक्षित ने श्रवण कर परीक्षित की पुत्र जन्मेजय ने श्रवण की तो परीक्षित महाराज की मुक्ति हो गई। आपको ज्ञात हो कि भागवत कथा सुनने से उनको परम मोक्ष नहीं मिल पाया था, क्योंकि उन्हें सांप ने काटा था, इसलिए उनके पुत्र जन्मेजय ने अपने पिता की उधर के लिए देवी भागवत कथा की और उसे कथा को वेदव्यास की श्रमिक से जब उन्होंने बद्रीनाथ धाम में श्रवण किया तो महाराज परीक्षित के लिए बैकुंठ से विमान आया और देवर्षि नारद बोले कि आपके पिताजी की ओर मंडीदीप की ओर परगना कर रहे हैं और आपका जो पुत्र होना सार्थक हुआ है, इसी प्रकार हर पुत्र अपने माता-पिता की जीवित रहते हुए सेवा करें और उनका शरीर जब छूट जाए तो उनके लिए पिंडदान, शास्त्र तर्पण और श्रीमद् देवी भागवत कथा आयोजित करें, जिससे पितरों का जो हमारे ऊपर रन है, उस रन से हम मुक्त हो और हमारी जो यह ऋषि परंपरा है, इसी प्रकार से चलती रहे, सनातन धर्म की यह अविरल गंगा की धारा नित्य प्रभावित होती रहे और समाज के अंदर जो खुशहाली समृद्धि सुख शांति सद्भावना सब प्रेम बना रहे और सब का कल्याण हो, यही देवी भागवत कथा का उद्देश्य सबके घरों में सद्बुद्धि सद्ज्ञान आई और सब लोग समृद्ध हो सबका कष्ट दुख भंवरों मिट और सबके घर में खुशहाली हो, इसी संदेश के साथ समस्त डुमरिया बुजुर्ग ग्रामवासियों, खगड़िया जिलेवासियों की मौजूद हजारों भक्तों व दर्शकों व श्रोताओं को संबोधित करते हुए सब के कल्याण हो, सबके घरों में खूशहाली हो आदि दुवाएं – आशीर्वाद समेत विश्व कल्याण की कामना करते हुए अपने प्रवचन को विश्राम दिया ।

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वहीं मौके पर मौजूद आयोजक डॉ सत्येंद्र कुमार, स्वागत कर्ता पंकज कुमार, समाजसेवी श्रवण आकाश, सुनिल चौधरी उर्फ अनिल, बालमुकुंद हजारी, सच्चिदानंद चौधरी, रजनीश कुमार, राजकिशोर चौधरी, सतिश मिश्रा समेत दर्जनों कार्यकर्ताओं ने कथा श्रवण करने के उपरांत कहा कि जब पृथ्वी पर धर्म और अत्याचार बढ़ते हैं तो भगवान स्वयं अवतरित होकर सृष्टि का कल्याण करते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा था कि कलयुग में वह श्रीमद् भागवत कथा में विद्यमान रहेंगे और जो भक्त श्रीमद् कथा का आयोजन अथवा श्रवण करेंगे उनका कल्याण हो जाएगा। भागवत कथा की श्रवण का महत्व समझते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत कथा कलयुग का वह कल्पतरु है जिसकी छाया में बैठने मात्र से व्यक्ति का यह लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं। इसी प्रेरणा व बिन्दु को लेकर उन्होंने श्रीमद् देवी भागवत कथा की श्रवण की। मौके पर कृष्ण कन्हैया राय, विनय चौधरी,उपेंद्र हजारी, सुबोध कुंमर, बीडीओ अखिलेश कुमार, मुखिया स्मृति कुमारी आदि दर्जनों कार्यकर्ताओं और कथा ज्ञान महायज्ञ में डुबकियां लगाने हजारों महिलाओं – पुरुषों और युवक – युवतियां की उपस्थिति देखी गई।

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