श्रवण आकाश, खगड़िया
जिसका दिल बड़ा होता है वही देवता होता है :- डॉ चिन्मय पण्डया
आज विज्ञान ने भौतिक जगत में हमें समृद्धि के महाशिखर पर पहुँचा दिया है। साधनों साचनों का अंबार खड़ा कर दिया है सब कुछ आसान और सरल हो गया है परंतु एक ज्वलंत प्रश्न अब भी खड़ा है कि :- क्या हम अपने आन्तरिक शक्ति हुन साधनों के द्वारा प्रकट कर सकते हैं?
क्या ये साधन हमारी आंतरिक चेतना को विकसित कर सकते हैं?
क्या ये साधन हमारी संवेदनशलता आत्मियता को बढ़ा सकते हैं ?
क्या ये साधन हमारे व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं?
इन सवालों का एक ही जवाब हैं- नहीं नहीं नहीं
आधुनिक जीवन शैली में उच्च महत्वकांक्षाओं परिवार एवं सामाजिक के दबाव से आज तरूण एवं युवा बुरी तरह पीस रहा है, इसके कारण अपने देश में लगभग 12 प्रतिशत किशोर-किशोरियों मानसिक पीड़ा व समस्या से ग्रस्त होकर आत्महत्या करने लगे हैं। यह परिस्थिति बही भयावह और विकट हैं। समय रहते यदि इसे सुधारा ओर संवारा नहीं गया तो भारत जैसे सर्वाधिक युवा राष्ट्र को समर्थ और स्वावलंबी राष्ट्र बनाना अति दुर्लभ हो जायगा। ‘ व्यक्तित्व निर्माण में अध्यात्म की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निम्न बिन्दुओं में सफलता के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इन सभी समस्याओं के समाधान को लेकर आज “YOUTH EMPOWERMENT ” का आयोजन किया गया।
संगीत मंडली द्वारा संगीत – संग्राम जिंदगी है लड़ना उसे पड़ेगा जो लड़ नहीं सकेगा वह आगे नहीं बढ़ेगा । वर दे वर दे माँ जगजनी वर दे संगीत मंडली के द्वारा गया गाया । इसके साथ ही साथ वही बिहार की संस्कृति झाँकी बालसंस्कार शाला के बच्चों के द्वारा बिहार की संस्कृति की झलक प्रस्तुत किया गया, जिसमे गाँधी चंपारण से लेकर कौटिल्य चाणक्य, आर्यभट, सम्राट अशोक, राष्ट्र कवि दिनकर और विद्यापति के बारे में झांकी के माध्यम से बताया गया और छठ पूजा होली भी प्रस्तुत किया गया । इसके अलावा नशे के विरुद्ध नाटक :- बालसंस्कार शाला के बच्चों के द्वारा नशे के विरुद्ध नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमे एक अच्छे युवा को गलत संगत में आने से कैसे उसका पूरा जीवन और परिवार ही बिखर जाता है। ऐसे ही हजारों ही नहीं बल्कि लाखों परिवार नशे के चलते हमारे राष्ट्र में बिखर जाते हैं । इस नाटक के माध्यम से बालसंस्कार शाला के बच्चों ने नशा नहीं करने की लोगों से अपील की।
वहीं इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में शांतिकुंज हरिद्वार से आये spiritual scientist डॉ० चिन्मय पण्डया जी ( प्रमुख अखिल विश्व गायत्री परिवार सह प्रतिकुलपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय ) “व्यक्तित्व प्रबंधन के लिए व्यवहारिक अध्यात्म के सूत्र” विषय पर 50 हजार युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा की नर को नारायण बनाने का नरेन्द्र को स्वामी विवेकानंद बनाने का और सिद्धार्थ को गौतम बुद्ध बनाने का ही नाम गायत्री मंत्र है । जिसका दिल बड़ा होता है वही देवता होता है। जिसके मन में देने का भाव आये परमार्थ करने का भाव आये वही तो देवता के श्रेणी में आने का समय होता है । यदि किसी चीज को लाने की आवश्यकता है तो वह विश्वास लाने की आवश्यकता है । बिहार की भूमि ज्ञान की शिखरों की भूमि है। यौवन की परिभाषा उम्र से नहीं बल्कि उदेश्य से होता है। भारत का यह मिट्टी साधारण मिट्टी नहीं है यह मिट्टी तापने लगती है तो वीरों की जन्म देती है । जहाँ व्यक्ति अपने जीवन को व्यसन में बीता रहा है वही गायत्री परिवार के युवा खुद को बदलने के साथ-साथ दूसरे को भी बदलने की प्रयास कर रहे हैं । आज सफलता का मतलब बड़े बड़े घर बड़ी बड़ी गाड़ी से लोग लगा रहे हैं जो की समाज के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। लोग स्वार्थी होते जा रहे हैं लोगों में आत्मसंतोष का अभाव होते जा रहा है और इसका परिणाम समाज भुगत रहा है । आज प्रत्येक लोगों को एक एक वृक्ष लगाने की आवश्यकता है क्योंकि हमारा पर्यावरण बहुत ही अशुद्ध होता जा रहा है । लोगों को दूसरे की चेहरे पर खुशी देना चाहिए जो लोग दूसरे के चेहरे पर खुशी देते हैं उनके चेहरे पर स्वतः ही खुशी आता है । जीवन में मनुष्य को ऊपर उठने के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है , नीचे गिरने के लिए नहीं । युवाओं को परिश्रमी बनना चाहिए और भारतीय दृष्टि से युवा का परिभाषा उम्र से नहीं उद्देश्य के उच्चता से होती है । युवाओं को सकारात्मक चिंतन रखते हुए अपने अंदर की स्वार्थता को नष्ट करना होगा और समाज हित और देश हित में अपना सर्वस्व लगाने की आवश्यकता है । इसके लिए जीवन में तीन चीजों का जरूरत होगी। 1) समय का सदुपयोग 2) जीवन देवता की साधना-अराधना 3) कठिन परिस्थितियों में धैर्य ।
वहीं कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि श्री अवध ओझा जी (FAMOUS UPSC TEACHER ) ने कहा कि अध्यात्म से बड़ा कोई विज्ञान नहीं है , अध्यात्म व्यक्ति के अंदर शक्ति जागृत करता है और इस विज्ञान को अपनाने का सही समय युवा अवस्था ही होता है । उन्होंने बताया की सभी लोगों को ध्यान करना चाहिए जो ध्यान करेगा वह सूर्य की तरह चमकेगा । युवा का पूरा जीवन संघर्ष से भरा हुआ है और उसमे साहस और उत्साह का होना परम आवश्यक है उसी के बल पर जीवन जिया जा सकता है । हिन्दू धर्म ही ऐसा धर्म है जो किसी को धर्म पर परिवर्तन पर बल नहीं देता है यह तो हृदय परिवर्तन करता है नरेन्द्र को स्वामी विवेकानंद और सिद्धार्थ को गौतम बुद्ध बना देता है । संगीत , सत्यसंग, साहित्य और सद्गुरु का साथ जिस व्यक्ति को मिल गया वह व्यक्ति निहाल हो जायेगा । व्यक्ति की पूजा नहीं बल्कि शक्ति की पूजा होती है। जो व्यक्ति धर्म के साथ होता है वह कभी नहीं हारता है। साधना करने वाले को मोटीवेशन की जरूरत नहीं होता है वह तो पूरे दुनियाँ में घूम घूम कर वो मोटीवेशन देता है। मोटीवेशन मजदूर के लिए होता है, राजाओं को मोटीवेशन की जरूरत नहीं होता है राजा तो खुद मोटीवेट रहता है । उन्होंने कहा कि एक समय था जब देश को भगवान राम ने संभाला था , कभी भगवान कृष्ण ने संभाला था और आज इस देश को गायत्री परिवार संभाल रहा है । गायत्री परिवार पूरे विश्व का परिवार है जो सभी परिजनों के लिए निस्वार्थ भाव से अहिर्निश प्रयासरत है ।
इसके पश्चात प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के संचालक श्री मनीष कुमार जी ने बताया कि अगर युवा वर्तमान चुनौतियों को स्वीकार नहीं किया तो हमारा देश कभी जगत गुरू था। वह पश्चिमी सभ्यता के आगोस में चला जाएगा इसमें हम सभी कि मुख्य भूमिका यह है कि युवाओं के साथ मित्रवत व्यवहार करें। अब उन्हें प्यार से ही आदर्श बनाना होगा परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्री राम शर्मा आचार्य कि इस पंक्ति को हम सबको अपनाना होगा “शालीनता बिन-मोल बिकती है पर उससे सब कुछ खरीदा जा सकता है।“ वर्तमान समय में युवाओं को भटकाने वाले काफी साधन उपल्बध है जैसा कि Facebook, Whatsapp, Youtube etc. जो कम उम्र के युवाओं को निगेटिव रास्ते के तरफ अग्रसर कर रही है। कम उम्र के युवाओं में यह सोच विकसित नहीं हो पाता कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। अगर उनकी सोच में साकारात्मकता लाई जाए तो जिस संसाधन का उपयोग सकारात्मक चिजो के लिए होनी चाहिए वो कभी भी उनका उपयोग नकारात्मक क्षेत्र में नहीं करेंगे। इन युवाओं के अन्दर सकारात्मकता पैदा मेडिटेशन के माध्यम से किया जा सकता है, और विगत 29 वर्षों से प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ पटना (बिहार) द्वारा प्रत्येक रविवार को गायत्री शक्तिपीठ, पटना द्वारा युवाओं को निगेटिव रास्ते से पोजेटिव रास्ते पर लाने का प्रयास किया जा रहा है और साथ ही P.D.C के माध्यम से हजारो युवाओं को सही रास्ते पर युवाप्रकोष्ठ ला चुका है। ऐसे युवा जो नशा के शिकार थे वे आज अपने जिंदगी को केवल नशामुक्त ही नहीं कियें बल्कि वे अपने समय का सदुपयोग स्लम एरिया के बच्चों को पढ़ाने में कर रहे है। बताते चले युवा प्रकोष्ठ पटना द्वारा पटना में 40 जगहों पर झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाने का कार्य चल रहा है बिल्कुल निशुल्क में लगभग 30 हजार से अधिक बच्चों को संस्कार के साथ शिक्षा गायत्री परिवार दे रहा है। ये बच्चे रिक्सा चलाने वाले, गरीब मजदूर, स्लम एरिया में रहने वाले लोगों के है। हम सभी युवाओं से आग्रह करते है कि अगर आपको अपने जीवन को बेहतर बनाना है तो प्रत्येक दिन 20 से 30 मिनट ध्यान (मेडिटेशन) जरूर करे। मौके पर बिहार के विभिन्न जिलों से लाखों लोगों की मौजूदगी देखी गई।