माधुरी मुँदरी ( छत्तीसगढ़ी गजल ) —
29/09/2022
❤️ अब चेत रे 💙
देश दुनिया छोड़ संगी जान पहिली आप ला
पर के निंदा बड़ करे तज वृथा आलाप ला ।
आत्म तीरथ मा नहाले ज्ञान के साबुन लगा
छोड़ सब दुनिया दिखावा टीका चंदन छाप ला ।
तोर किस्मत तैं बनाबे दूसरा बिन काम के
कोन गर्दन मा लपेटे तैं धरे पुन पाप ला ।
गुन समझ मन मा तैं थोकुन कोन सच्चा झूठ हे
पर सिखोये बुध तियागो फेंक ओखर जाप ला ।
जेन तोला अब गढ़े हे नाम कुल के गोत्र दिस
मन मतंगी मा भुलाये तैं अपन वो बाप ला ।
मुक्ति खातिर घूम डारे आज चारो धाम मा
मन भरम कारन जगत मा तै सहत हस ताप ला ।
शुद्ध आतम ज्ञान सिख जा कर तियारी आज ले
नैन खोले देख अब अउ सुन जरा पदचाप ला ।
मौन मुदिता के महल मा तैं अकेला आ अभी
घट के भीतर मा बजत हे सुन ले अनहद थाप ला ।
—- माधुरी डड़सेना ” मुदिता “