दिल की किताब
दिल की किताबों मे
बातें अंकित हो जाती
भुलाए नहीं भूलती
प्रकाशित हो जाती है।
लेखनी ऐसी होती है
जो दिल को भा जाती
नैनो के द्वार होकर
दिल में समा जाती।
स्याही मृदुल वाणी
दिल है कागज के पन्ने
प्रेम विचारों से भरी
छप कर रह जाती है।
अच्छी बुरी बातें भी
अंकित हो जाती है
कभी चुभ जाती है
शीतल भी कर जाती।
डॉ. इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार