पूज्य बापू को नमन

पूज्य बापू को नमन
(पुण्य जयंती पर कोटि कोटि प्रणाम)
“रघुपति राघव राजा राम,
मन को भाता तेरा नाम।
याद आते हो सुबह शाम,
बनाते सबके बिगड़े काम।“

आओ साथियों करें हम सब, पूज्य बापू को नमन,
02 अक्टूबर 1869 को, हुआ था बापू का जन्म।
बापू की लाठी का, है सारी दुनिया ने देखा दम,
उनके लिए सत्य और अहिंसा, सबसे बड़ा धरम।
आओ साथियों करें…………….

बंद कर दी गोली की बोली, और हवा गई थम,
जग के कोने कोने में लहराया, शांति का परचम।
जीवन में कहीं किसी पर, वे होते नहीं थे गरम,
अहंकारी अंग्रेजों का भी, तोड़कर दिखाया भरम।
आओ साथियों करें……………..

उनकी मधुर बोली के आगे, लाचार परमाणु बम,
जख्मों पर हमेशा वे, लगाना जानते थे मरहम।
किसे काम को करने में उन्हें, बिल्कुल न शरम,
जीवन बीताया सादा, पर अलबेला और अनुपम।
आओ साथियों करें………………

पिता करमचंद, मां पुतलीबाई, पत्नी कस्तूरबा,
व्यवहार बापू का दुनिया में, सबके साथ नरम।
तकलीफ़ देखकर किसी की, आंखें उनकी नम,
असत्य हेतु असंभव था, खाना कभी भी कसम।
आओ साथियों करें………………

सेवा भाव रहा मन में, वे राष्ट्रपिता कहलाए,
देखकर विचार उनका, बदल जाते थे मौसम।
ऊंच नीच के खिलाफ वे, रहे जीवन में हरदम,
जहां जाते, बारिश सत्य अहिंसा की झमाझम।
आओ साथियों करें………………..…

उनके सच्चे अनुयाई, शास्त्रीजी की भी जयंती,
जय जवान जय किसान, नारा लगा अनुपम।
आओ साथियों करें…………….

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो,
अपने व्यवहार से किसी को, दो नहीं जख्म।
फल वैसा मिलता उसे, जैसा कोई करता कर्म,
साबरमती के संत को, अपना आदर्श मानें हम।
आओ साथियों करें………………

सीखना चाहिए बापू से, कैसे निभाए जाते वचन,
मन बापू का इतना मजबूत, हिला पाए न गम।
दूर उनके दिल से कभी, हो सका नहीं रहम,
ऐसे राष्ट्रपिता पर मित्रों, क्यों न इठलाएं हम?
आओ साथियों करें………………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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