महाप्राण भगीरथ,
गंगा धरा पर लाते,
सगर-सुत गंगा से,
मोक्ष मान पाते हैं।
पूर्वज प्रभु राम के,
भक्त राजा भगीरथ,
करें आदि पिता ध्यान,
वही ज्ञान देते हैं।
ध्यान शिव का वे करें,
प्रभु कृपा करते हैं,
जग प्रेम में गंगा को,
जटा में समाते हैं।
मात शिव स्नेह पाई ,
शांत रूप भूमि आई,
जह्नु तप भंग हुआ,
जल पीते जाते हैं।
भगीरथ स्तुति करें,
देव – गण झुके रहें,
ऋषि कान खोल देते,
जल निकालते हैं।
मात अवतार कथा,
नित्य पढ़ा,सुना करें,
जल धारा शुद्ध रखें,
गंगा ही नहाते हैँ।
गंगा,देश प्राण-धारा,
देती हमें अन्न-जल,
भक्ति,रूप आत्म-ज्ञान,
वही मोक्ष देता है।
पर-पीड़ा ध्यान रहे,
देश-हित त्याग वरें,
भगीरथ तप-भाव,
यही सिखलाते हैं।
@ मीरा भारती