(शृद्धाजंलि)

हृदयविदारक घटना सुनकर,
काँपा हृदय वतन रोया।
जिंदादिल,जाँबाज,लोकप्रिय,
रक्षा प्रमुख विपिन खोया।

जीवन की सहचरी मधुलिका,
सुख-दुख में जो साथ रहीं।
साथ निभाया अंतिम क्षण तक,
अंत समय भी साथ रहीं।

सूझ-बूझ, रणनीति भिन्न थी,
शैली अज़ब निराली थी।
नीति अभेद्य, शत्रु संहारक,
विजय दिलाने वाली थी।

वीर, दयालू, सरल हृदय थे,
योद्धा, भाव से भरे हुए।
युद्ध नीति से सारे दुश्मन,
रहते सहमें, डरे हुये।

कहना था दुश्मन पर गोली,
पहले नहीं चलायेंगे।
लेकिन किसी ने पहल करी तो ,
गोली नहिं गिन पायेंगे।

राष्ट्रहित के योगदान को,
भारत भूल न पायेगा।
अब न जाने कब तक ऐसा,
योद्धा भू पर आएगा।

  अमर सिंह राय (नौगांव)

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