प्राइवेट नौकरीविधा कविता

रमाकांत सोनी

पैकेज सरकार से ज्यादा होगा
गाड़ी बंगला बोनस का वादा होगा
ज्वाइन करना तू सोच समझ
छुट्टी कम और काम ज्यादा होगा
मन ही मन दम घुटता होगा
हृदय भी रोता होगा
कौन सुने करूण व्यथा
करुणानिधि भी सोता होगा
तनख्वाह आज की पका अभी
कल करे नौकरी और कहीं
सिर पर तलवार लटकती है
एक नजर हवा में भटकती है
जब कमी काम में रही कभी
तो समझ नौकरी गई तभी
मां बाप ने सामर्थ्य से तुझको
अच्छी डिग्री दिलवाई थी
सरकारी नौकरी मिली नहीं
प्राइवेट हाथ में आई थी
तू खूब करें मेहनत फिर भी
वेतन में देरी होगी ही
गर बात करें प्रमोशन की
तो बात संशय की होगी ही
तू बस अपनी ड्यूटी करता जा
बच्चों का पेट भरता जा
वो ऊपर बैठा देखता है
तू तिल तिल कर के मरता जा
तू निर्धन है निर्बल तो नहीं
तू पढ़ा लिखा अज्ञान नहीं
अधिकार अपना जानता है
ईश्वर को सच्चा मानता है
कुछ कर्म ऐसा कर दे तू खरा
अनुभव को दुनिया में बिखरा
ऑफर पर ऑफर आएंगे
सब तुझको आगे पाएंगे
मेहनत तेरी रंग लाएगी
खुद लक्ष्मी तिलक लगाएगी
फिर ना कोई मजबूरी होगी
मन में ना कोई दूरी होगी
हर नियम साफ सही होंगे
फिर हम और आप वही होंगे

रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान

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