हर लम्हा हर दिन मैं भूल जाऊँगा।
चंद दिनों में मैं ख़ुदको भूल जाऊँगा।
जो लोग मेरे पास रहकर भी मुझ से
दूर है मैं उन्हें भी भूल जाऊँगा।
हर वक़्त मैं नशेमें रहने की कोशिश
करूँगा बाकी सब भूल जाऊँगा।
दोस्ती आग़ से में कर लूंगा बाकी
सीने जो दिल है उन्हें भूल जाऊँगा।
आखों से यादों का समंदर बहा
दूँगा दर्द चीख़ कर भूल जाऊँगा।
मेरी मौत होते ही कब्र में सोते हुए
बड़े आराम से सब भूल जाऊँगा।
नीक राजपूत