नौबतपुर प्रखंड के नवही गांव में किसान मनीष के यहां लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था। मचान पर लटकते 5-6 फ़ीट की लौकी पर सब सरसरी निगाहों जमाए हुए थे। मनीष ने बताया कि पहली बार जो भी इसे देखता है उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं होता हैं। अमूमन लौकी की लंबाई 2 से 3 फीट तक की होती है जबकि मनीष की लौकी की प्रारंभिक लंबाई ही 4 फीट से अधिक हो गई है। उनका कहना है कि नवंबर तक इसकी लंबाई तकरीबन 6 फीट तक पहुंच जाएगी। दरअसल मनीष ने इस बार नरेंद्र शिवानी लौकी की खेती की हैं जिसके फल 6-7 फीट तक लंबे होते हैं। किसानों के लिए काम करने वाली संस्था आवाज एक पहल के माध्यम से उन्हें इसके खेती की जानकारी मिली। संस्था के द्वारा ही उन्हे बीज और तकनीक भी उपलब्ध कराए गए ।

आवाज एक पहल की लव कुश बताते हैं कि वरिष्ठ हॉर्टिकल्चर साइंटिस्ट शिवपूजन सिंह द्वारा विकसित नरेंद्र शिवानी लौकी अपने लंबाई के लिए बेहद मशहूर है। हाल ही में विकसित की गई लौकी की यह नई प्रजाति जहां भी प्रदर्शनी में जा रही है वहां सबसे आकर्षण का केंद्र बन जा रही है। संस्था के सदस्य वीरू शर्मा के अनुसार 2022 में बीज की संख्या सीमित थी। प्रायोगिक तौर पर तकरीबन दो दर्जन किसानों को इसका बीज मुहैया कराया गया था। हमारा प्रयोग सफल रहा और 2023 से हम इस बीज को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

किसान भाइयों को भी इसके बीज खरीदते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। अनेक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और अन्य जगहों पर इसके बीज बेचे जा रहे हैं जो कि डुप्लीकेट होते हैं।

नरेंद्र शिवानी लौकी जाड़े की प्रजाति है, जिसकी बुवाई का मुख्य समय मध्य जुलाई है। मचान विधि से खेती करने पर खाने योग्य फलों का उत्पादन 700-1000 ¨क्वटल तक प्रति हेक्टेअर प्राप्त किया जा सकता है। पूर्ण विकसित लौकी की लंबाई 6-7 फुट तक व वजन 8-10 किलो ग्राम तक होता है।