संगीत साधना से पहचान बना रहे हैं डुमरिया बुजुर्ग के गोपाल सिंह भरद्वाज

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परबत्ता (खगड़िया)। परबत्ता प्रखंड के सियादतपुर अगुवानी पंचायत स्थित डुमरिया बुजुर्ग गाँव के रहने वाले गोपाल सिंह भरद्वाज ने संगीत की दुनिया में अपनी मेहनत, लगन और समर्पण से एक नई पहचान बनानी शुरू कर दी है।

गोपाल सिंह भरद्वाज ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिताजी से प्राप्त की। बचपन से ही संगीत के प्रति गहरा लगाव होने के कारण उन्होंने सुरों की साधना को कभी नहीं छोड़ा। शुरुआती दौर में कई मंचों पर प्रस्तुति दी, परंतु अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।

उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी गए, जहाँ रहते हुए भी उन्होंने संगीत का नियमित रियाज़ जारी रखा। उन्होंने यह साबित किया कि कठिन मेहनत और धैर्य से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। आज वे एक उभरते हुए गायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं।

उनकी आवाज़ में एक खास तरह की मिठास और गहराई है, जो श्रोताओं को सीधे छू जाती है। विशेष रूप से उनकी गाई हुई ग़ज़लों में वह जादू होता है जो सुनने वालों को आनंदित कर देता है।

गोपाल का मानना है कि आज के समय में जहाँ युवा अच्छी नौकरी को ही करियर मानते हैं, वहाँ संगीत को जीवन बनाना आसान नहीं है। लेकिन उन्होंने खुद पर और अपने सुरों पर भरोसा रखा, और वही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई।

डुमरिया बुजुर्ग जैसे ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर संगीत की दुनिया में जगह बनाना निश्चित ही प्रेरणादायक है। गोपाल सिंह भरद्वाज आज उन युवाओं के लिए उदाहरण हैं, जो अपने जुनून को अपना पेशा बनाना चाहते ह

सुरों की दुनिया में मेहनत और लगन से बना रहे हैं अपनी अलग पहचान

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