वो दिन याद कर
मेरी दादी की आँखों में
आँसू बरस जाता है
लाल कर लेती है
अपनी खूबसूरत आँखें
मत पूछ भीम निधन
मेरा दिल धड़क जाता है
मैं कहता ,अरी दादी
मुझे भीमराव जी से
बहुत प्यार है
इनके जीवन मृत्यु की
मन सुनने को तैयार है
फिर साहस बटोर
कलेजे पर हाथ रख
कहने लगी ,सुनों बेटा
वो निर्वाण की बात
सुन मैं चुप्पी साधा
मन को एकाग्र किया
दिल की धड़कन को
पहले से शांत किया
दादी कहती गयीं
छह दिसंबर की बात है
छपन का इतिहास है
जब मैं सो कर उठी
तो कुछ खो कर उठी
कानों-कानों में यह बात फैली
आज वह छोड़ चले
भगवान बुद्ध के शरण में मिले
फिर पूरे भारतवासी
रो-रो कर माथे पर हाथ धरे
उस दिन का जलपान त्यागे
मैं चिपक गयी
एक पुरानी रेडियो से
जिस पर एक न्यूज आया
पंडित जवाहरलाल कह रहे थे
आज मुझे अपना
एक बुद्धिमान साथी
एक महान विद्वान
छोड़कर चला गये
कहते -कहते दादी फफकी
मैं भी फफककर-फफककर
जी भरकर रोया था ।।
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उत्क्रमित उच्च विद्यालय शहरपुरा, जमुआ,गिरिडीह ,झारखंड ।
पिन कोड-815312
वो दिन /कविता
