तेरी यादों की बारात

ishika Gupta

खोयी -खोयी दिलों में तेरी यादों की बारात रहती हैं।

कभी चेहरे पे लिखते हैं कभी दिलों में छुपा बैठते हैं।

तेरी चांद सी चेहरे को आईने में तरासते हैं ।

अपनी दिल की कोने में तेरी यादों की तस्वीर ढूंढते हैं।

खोयी- खोयी दिलों में तेरी यादों की बारात रहती हैं।

खोयी हूँ तेरी यादों की बारात में
इस कदर की ,

आईने में ख़ुद नहीं तेरी तसवीर को देखती हूँ।

खोयी- खोयी दिलों में तेरी यादों की बारात रहती है।

तेरी यादों की बारात में मेरी आँखों से पानी छलकती हैं।

तुम्हें न याद करते हैं फ़िर भी तेरी यादों की बारात आ जाती हैं ।

साम क्या हुयीं तेरी यादों की बारात दिल पे दस्तक देने लगती हैं।

खोयी- खोयी दिलों में तेरी यादों की बारात रहती है।

तेरी यादों की बारात ने मेरे आँखों में ख्वाब लेकर आतीं हैं।

मैं तुझे सोचूँ तू किसीऔऱ को
सोचता है।

खोयी -खोयी दिलों में तेरी यादों की बारात रहती है।

जब भी तेरी यादों की बारात आतीं हैं आँखों में पानी दे ज़ाती हैं।

कसूर तों इस नयन की होतीं हैं
चोट दिल को दे जाती हैं।

खोयी- खोयी दिलों में तेरी यादों की बारात रहती है ।

मेरे अल्फाज- ishika Gupta

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