कैसे बताऊँ तुझे ।। Inquilabindia

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छुपालु अपनी कविताओ में तुझे।
के मेरे सिवा कोई पढ़ ना पाए तुझे।

बस चले मेरा तो में अपने शब्दों
में मेरी हसीन जन्नत बनाऊँ तुझे।

तेरे ही ख़यालो में सुबह शाम होती
है मेरी ये बात कैस बताऊँ मैं तुझे।

डरता मैं हूँ मेरे पहले और कोई
दुवाओं में खुदा से मांग न ले तुझे।

दिलसे तो अपना लिया इजाज़त
दे तो रूह के बंधन में बांधले तुझे।

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