मीरा मिश्रा

स्वतंत्रता-काव्य

जन मानस ह्रदय परम निर्भीक हो,दृष्टि गुणदर्शी मस्तक गर्वोन्नत हो ,मन-वचन-कर्म में एकत्व दरश हो,वाणी निःशंक हो, हृदय-तल की,गहराई का…

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कुनाल राही

चन्द्र रवि वार कर दो

चन्द्रहास लेकर करो में,चन्द्र रवि वार करदो, श्रृष्टि का घनघोर अंधेरा,प्रकाश मय इकबार करदो, हर्ष औ उल्लास नेत्र से,सर्वदा सर्वत्र…

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