बोल बम के नारे के साथ गुंजा कावरिया पथ

तारापुर / मुंगेर : साहिल राज ‘सिट्टू’

विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला 2022 में दोगुनी संख्या में बाबा भक्तों की भीड़ सोमवार को उमड़ पड़ी। मौसम का मिजाज महादेव की भक्ति में सराबोर कांवरियों के उत्साह को दोगुना करते दिखाई दी। बोल बम… बोल बम के जयकारों के साथ कांवर लेकर जाते कांवरियों के जत्थे में हर वर्ग के श्रद्धालु शामिल रहे। क्या महिलाएं, क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग। वहीं, दिव्यांग कांवरियों की तस्वीरें भी सामने आईं।

सावन के शुक्ल पक्ष के सातवे सोमवार को सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर जाने वाले कांवरियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस भीड़ के खास आकर्षण डाकबम होते हैं। सुबह से ही तारापुर में कांवरियों का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया।

बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा कई राज्यों के कांवरियों ने जल उठाया और पैदल बाबाधाम के लिए निकल पड़े। इसमें पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के अलावा नेपाल के विभिन्न जिलों के कांवरिया शामिल हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मेला परिसर में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। कांवरिया के कांधे कांवर, मुंह से बोलबम का जयकारा के साथ सावन महीने में कांवर यात्रा या डाक बम की दौड़ देखते ही बनती हैं। नंगे पांव जमीन पर दौड़ते हुए सुल्तानगंज से बाबा धाम जाकर बाबा बैद्यनाथ को जलाभिषेक करना एक बहुत बड़ी ख्याति प्राप्त मान्यता है।

डाक बम को 24 घंटे के अंदर 105 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। डाक बम कांवरियों को बाबा

धाम में विशेष सुविधा मिलती है। इस कांवर यात्रा की शुरूआत उत्तरवाहिनी गंगा तट सुल्तानगंज से प्रारंभ होती है। डाक बम गंगा में स्नान करने के बाद जल संकल्प लेने के साथ ही सुल्तानगंज से दौड़ लगाना शुरू करते हैं। वे 24 घंटे के भीतर ही लगातार बिना रुके चलते और दौड़ते हैं और सीधे बाबा धाम पर जाकर रुकते हैं।

कांवरिया पथ पर डाक बम रूकते नहीं है। यदि वो रूके तो उनकी यात्रा विफल मानी जाती है। एक जगह खड़ा होने के बाद भी उनका पैर चलते रहता है। सुल्तानगंज के नियंत्रण कक्ष से डाक पर्ची कटा लेने के बाद डाक कांवरियों को 24 घंटा के अंदर जलार्पण करना पड़ता है। कठिन साधना के बाद बाबा पर जलार्पण के बाद अछ्वूत अनुभूति डाक कांवरियों को होती है।

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