Whistling Village Meghalaya – मेघालय के इस ‘व्हिसलिंग विलेज’ के लोग बोलकर नहीं करते हैं बातें, बोली कीअनोखी परंपरा कर देगी हैरान

Whistling Village Meghalaya : भारत में घूमने के लिए एक से बढ़कर एक खूबसूरत जगहें हैं । जहां आपको कई अनोखी और अद्भुत चीज़ें देखने को मिलती हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको भारत के पूर्वी राज्य मेघालय के एक ऐसे खूबसूरत और सुंदर गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोग बात करने के लिए भाषा का प्रयोग नहीं करते हैं।

मेघालय के इस खास गांव में लोग व्हिस्लिंग के जरिए आपस में बातचीत करते हैं, जिसकी वजह से इस सुंदर गांव को व्हिस्लिंग विलेज के नाम से भी जाना जाता है।

Whistling Village Meghalayaजी हां ! हम बात कर रहे हैं मेघालय की राजधानी शिलांग से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक बेहद ही सुंदर और शांत गांव जिसका नाम कोंगथोंग की, इस अनोखे गांव में लोग काफी पुराने समय से बातचीत की एक अनोखी परंपरा को निभा रहे हैं जिसके अंतर्गत वह यहां एक दूसरे को बुलाने के लिए किसी नाम का प्रयोग ना करके, सीटी बजाकर बुलाते हैं।

तो चलिए अब जान लेते हैं इस खूबसूरत गांव के बारे में कुछ खास बातें-

Whistling Village Meghalaya – व्हिस्लिंग विलेज मेघालय

  • खूबसूरती के खजाने से भरा हुआ यह गांव, आपको एक अनोखी परंपरा से रूबरू कर आता है।
  • मेघालय के इस अद्भुत गांव में सीटी  बजाकर एक दूसरे से बातचीत की जाती है
  • इस सीटी के माध्यम से लोगों के दो नाम होते हैं।
  • यह दोनों नाम एक धुन के रूप में होते हैं जिसमें से पहले में एक लंबा गीत होता है जबकि दूसरे में एक छोटा सा गीत होता है।
  • पहले धुन को लोग अपने परिवार या आसपास में बात करने के लिए प्रयोग करते हैं जबकि दूसरी का प्रयोग बड़े बुजुर्ग आपस में बातचीत करने के लिए करते हैं।
  • आपको जानकर हैरानी होगी कि इस अनोखे गांव में आपके बातों से ज्यादा सीटों की आवाज़ सुनाई देती हैं।
  • गांव के सभी लोग इस परंपरा का पालन पुराने समय से करते चले आ रहे हैं। इसको गांव का छोटे से छोटा बच्चा और बड़े से बड़ा बुजुर्ग आसानी से प्रयोग करता है।
  • कोंगथोंग गांव के लोग इस प्राचीन परंपरा को अपनी प्राचीन कहानियां से जोड़ते हैं। माना जाता है की काफी समय पहले किसी खतरे से बचने के लिए दो दोस्तों ने इस सीटी  का प्रयोग एक दूसरे को इशारा करने के लिए किया था .
  • उसके बाद से ही गांव वालेसीटी बजा कर बुलाने की इस अनोखी तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं.
  • इस परंपरा की सबसे खास बात यह है कि बुलाने के लिए इस विशेष धुन प्रयोग सबसे पहले बच्चे की मां के द्वारा किया जाता है. उसके बाद आसपास वाले इस खास धुन का प्रयोग बच्चों के सामने करते हैं, जिससे वह इसे पहचान लेता है. और वह भी इसको  प्रयोग करना सीख जाता है.
  • 600 लोगों की आबादी वाले इस छोटे से गांव में आपको लोगों की बातचीत से द्वारा कानों को सुकून देने वाली यह अद्भुत सीटों की आवाज सुनाई देती है.
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    Whistling Village Meghalaya
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Whistling Village Meghalayaपहुचें कोंगथोंग ?

तो अगर आप भी मेघालय की यात्रा करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इस अद्भुत गांव में जरूर जाएं। जहाँ इस कमाल की परंपरा को खुद अनुभव करके देखें.

शिलांग से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस अनोखे गांव तक पहुंचने के लिए आपको आधा किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी पड़ती है. क्योंकि पहाड़ों के बीच बसे इस गांव तक पहुंचाने के लिए सड़क नहीं उपलब्ध है।

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