चन्द्र रवि वार कर दो

कुनाल राही

चन्द्रहास लेकर करो में,
चन्द्र रवि वार करदो,


श्रृष्टि का घनघोर अंधेरा,
प्रकाश मय इकबार करदो,


हर्ष औ उल्लास नेत्र से,
सर्वदा सर्वत्र लुप्त हो गये हैं,


वैरी के मनोभावों को,
विकराल विकट हो प्रकट नष्ट,


वैरी का तुम बार बार,
चन्द्र रवि हर वार करदो।




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