साहित्य कविता काननचन्द्र रवि वार कर दो न्यूज डेस्क4 years ago4 years ago01 mins चन्द्रहास लेकर करो में,चन्द्र रवि वार करदो, श्रृष्टि का घनघोर अंधेरा,प्रकाश मय इकबार करदो, हर्ष औ उल्लास नेत्र से,सर्वदा सर्वत्र लुप्त हो गये हैं, वैरी के मनोभावों को,विकराल विकट हो प्रकट नष्ट, वैरी का तुम बार बार,चन्द्र रवि हर वार करदो। Post navigation Previous: मंथराNext: दुर्लभ मानवजन्म ! Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
सबको पछाड़ ललित गर्ग और डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’ बने प्रथम विजेता न्यूज़ डेस्क12 months ago12 months ago 0
म.प्र. साहित्य अकादमी द्वारा अभा पुरस्कार से हिंदीभाषा डॉट कॉम अलंकृत न्यूज़ डेस्क2 years ago2 years ago 0