जीवन को तेरे जो, इक लक्ष है देता।
कुछ कर दिखाने का, साहस तुम में हैं लाता।
वह पथ भले कठिन,पर तुम्हें पहचान इक देता।
ऐ मानव! वही तो कर्तव्यपथ है कहलाता।
कर्तव्यपथ की राहों में, है मोड़ भले अनेक।
पर सच्चे मन ने कभी, तो चल कर इसपर देख।
तेरे अपने सदा हर मोड़ पर, संग तेरे होंगे।
बस अपने श्रम पर, तू भरोसा करके तो देख।
माना कभी गिरेगा,कभी होगा तू उदास।
बेरंग जीवन में, ना लगता कुछ भी ख़ास।
पर होतें है वे पल, केवल इम्तिहान के कठिन
दे तो तू इम्तिहान, होगा जरूर पास।
केवल असफलता के डर से, या फिर आलस में लिप्त हो।
ना तुम कभी कर्तव्यपथ से, अपने कभी विमुख हो।
परिश्रम तेरे हर कर्तव्य को, करेगा अवश्य सफल।
बस तेरा विश्वास स्वयं में, और ह्रदय में दृढ़ निश्चय हो।
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)