कोटि नमन हो उन चरणों में
देश के हित जो पग चले
ऐसा ना कोई पुष्प जगत में
जो इनका पद वंदन करें।
सदा सजग प्रहरी यह देश के
चौबीसों घंटा सजग रहे
क्या जाने कैसे हुई त्रुटि
जो यह हमसे बिछड़ चले।
ईट से ईट बजा दुश्मन का
घर घुसकर प्रहार करें
रणबांकुरे गए रन से आज
राष्ट्र फिर कैसे धैर्य धरे।
भारत मां के वीर सपूतों
मां की यह रखवाली करें
जल थल नभ तीनों के नायक
किसके भरोसे इसे छोड़ चले।
आसमान की ऊंचाई से
सागर तक पाताल नजर
देश की हर सीमा थी सुरक्षित
रखते सब पर पैनी नजर।
मिलता जिनको उत्तम चालक
फिर यह कैसे भूल हुई
एक नई संग तेरह सैनिक
भारत मां से बिछड़ चली।
साजिश है या है दुर्घटना
मन में सौ सौ बात चले
इतना सुरक्षित विमान कैसे
कुछ दूर पहले क्रैश करें।
अश्रुपूरित नयनों से श्रद्धांजलि
आज उन्हें यह राष्ट्र करे
आपकी यह कुर्बानी अब
देश के नैनो से आंसू झरे।।
कुमारी बबिता ठाकुर
बेगूसराय बिहार