बिहपुर: माह-ए-रमजान के तीसरे जुमे की नमाज शुक्रवार को बड़ी श्रद्धा और अकीदत के साथ अदा की गई। बिहपुर प्रखंड की जामा मस्जिद समेत विभिन्न मस्जिदों में बड़ी संख्या में नमाजियों ने शिरकत की। बिहपुर जामा मस्जिद में इमाम हजरत मौलाना अबूसालेह फरीदी की अगुवाई में नमाज अदा की गई।
इसके अलावा, मिलकी, बभनगामा, झंडापुर, नया टोला गौरीपुर, हिरदीचक, सहोडी, नंनकार, औलियाबाद, लत्तीपुर, जमालपुर सहित विभिन्न मस्जिदों में भी रमजान के तीसरे जुमे की नमाज शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। इस दौरान मस्जिदों में खास इंतजाम किए गए थे, जिससे रोजेदारों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
21वें रोजे से शुरू हुआ जहन्नुम से निजात का अशरा
बिहपुर के खानकाह-ए-आलिया फरीदिया मोहब्बतिया के सज्जादानशीन हजरत अली कौनैन खां फरीदी एवं नायब सज्जादानशीन हजरत मौलाना अली शब्बर खां फरीदी ने बताया कि माह-ए-रमजान का तीसरा अशरा, जो 21वें रोजे से शुरू होता है, जहन्नुम से निजात (अल्लाह की रहमत) के लिए जाना जाता है। इस अशरे में इबादत, तिलावत और दुआओं का विशेष महत्व होता है।
शब-ए-कद्र की पांच रातें पड़ती हैं तीसरे अशरे में
तीसरे अशरे की सबसे खास बात यह है कि इसी दौरान शब-ए-कद्र की पांच महत्वपूर्ण रातें भी आती हैं, जिन्हें इस्लाम में बेहद पाक और फजीलत वाली रातें माना गया है। इन रातों में की गई इबादत का विशेष सवाब बताया गया है, और इन्हें हज़ार महीनों की इबादत से भी बेहतर माना जाता है।
मस्जिदों को किया गया आकर्षक रूप से सजाया
माह-ए-रमजान के अवसर पर बिहपुर की जामा मस्जिद को आकर्षक रूप से सजाया गया है। नमाजियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं, जिससे वे आसानी से अपनी इबादत कर सकें। मस्जिद कमेटी ने साफ-सफाई और अन्य सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है ताकि रोजेदारों को कोई परेशानी न हो।
तीसरे जुमे की नमाज के दौरान नमाजियों ने देश, समाज और इंसानियत की भलाई के लिए दुआएं मांगी। इसके साथ ही रमजान के आखिरी अशरे में इबादत और नेकियों की राह पर चलने का संकल्प लिया।