स्वास्थ्य के नाम पर खिलवाड़, आधा दर्जन अवैध क्लीनिकों का पर्दाफाश

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नारायणपुर प्रखंड के मधुरापुर, नारायणपुर, पहाड़पुर और भ्रमरपुर इलाके में चल रहे अवैध क्लीनिकों और जांच केंद्रों का जाल गरीब और असहाय लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। हाल में पीएचसी नारायणपुर की एक जांच टीम ने दो दिनों तक इन क्लीनिकों और लैब्स का निरीक्षण किया, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए। रिपोर्ट में बताया गया कि यहां लगभग सभी क्लीनिक अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।

कैसे हुआ खुलासा ?

पीएचसी प्रभारी डॉ. विनोद कुमार के नेतृत्व में की गई जांच में यह पाया गया कि इन क्लीनिकों और जांच केंद्रों में पंजीकरण संबंधी कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। जांच रिपोर्ट सिविल सर्जन कार्यालय को भेजी गई है। डॉ. विनोद ने बताया कि ये सभी क्लीनिक और लैब्स स्वास्थ्य विभाग के मानकों को न केवल नजरअंदाज कर रहे हैं, बल्कि मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।

अवैध क्लीनिकों की सूची और उनकी हकीकत

जांच के दौरान कई अवैध क्लीनिकों का पर्दाफाश हुआ। इनमें शामिल हैं:

1. एसबीआई रोड, मधुरापुर:

राजा कुमार द्वारा संचालित क्लीनिक।

कोई पंजीकरण नहीं।

2. मां उषा डिजिटल अल्ट्रासाउंड, मधुरापुर:

बिना मान्यता के संचालन।

3. मां तारा एक्सरे, मधुरापुर:

कोई मानक पूरा नहीं।

4. मदर्स हेल्थ केयर, मधुरापुर:

बिना डॉक्टर के मरीजों का इलाज।

5. मां डिजिटल अल्ट्रासाउंड, जेपी कॉलेज रोड, नारायणपुर:

बिना पंजीकरण के सिजेरियन ऑपरेशन सहित गंभीर सर्जरी।

6. अमृत हेल्थ केयर, पहाड़पुर:

कोई पंजीकरण दस्तावेज उपलब्ध नहीं।

7. न्यू रंजन डिजिटल एक्स-रे, मधुरापुर:

डॉक्टरों की अनुपस्थिति और मानक सुविधाओं का अभाव।

जांच में सामने आए तथ्य

डॉक्टरों की गैर-मौजूदगी: अधिकांश क्लीनिक और लैब्स में डॉक्टर केवल नाम मात्र के हैं। वे न तो नियमित रूप से उपस्थित रहते हैं और न ही मरीजों की देखभाल करते हैं।

मानकों की अनदेखी: क्लीनिकों में न तो आवश्यक उपकरण हैं और न ही चिकित्सा मानकों का पालन किया जाता है।

सर्जरी तक हो रही है: कई क्लीनिक बिना मान्यता के गंभीर सर्जरी कर रहे हैं। मां क्लीनिक में अवैध तरीके से सिजेरियन ऑपरेशन करने के आरोप लगे हैं।

गरीबों से लूट: इन अवैध क्लीनिकों के संचालक गरीब और असहाय मरीजों से भारी शुल्क वसूलकर उनकी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही या मिलीभगत?

इन अवैध क्लीनिकों का इतने लंबे समय तक संचालन कई सवाल खड़े करता है:

क्या स्वास्थ्य विभाग इन क्लीनिकों की जानकारी से अनजान था?

क्या कार्रवाई में हो रही देरी संचालकों के साथ किसी मिलीभगत का नतीजा है?

मरीजों की शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया?

स्थानीय लोगों का आक्रोश

इलाके के लोगों का कहना है कि ये क्लीनिक न केवल उनकी जेबें खाली कर रहे हैं, बल्कि उनकी जान के लिए खतरा बन चुके हैं। “हमारी मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के चलते हम इन क्लीनिकों में जाने को मजबूर हैं,” एक स्थानीय निवासी ने बताया।

आगे की कार्रवाई

जांच रिपोर्ट सिविल सर्जन कार्यालय भेज दी गई है, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या इन अवैध क्लीनिकों पर कार्रवाई होगी, या यह मामला भी फाइलों में दबा दिया जाएगा। कार्रवाई में देरी से संचालकों का हौसला बढ़ता जा रहा है, और गरीबों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ जारी है।

समस्या का समाधान कैसे होगा ?

सख्त कार्रवाई: स्वास्थ्य विभाग को तुरंत इन क्लीनिकों पर ताले लगवाने चाहिए।

सतर्कता अभियान: जनता को जागरूक करना जरूरी है ताकि वे अवैध क्लीनिकों से दूर रहें।

सरकारी अस्पतालों में सुधार: सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना ही स्थायी समाधान हो सकता है।

निष्कर्ष:
नारायणपुर में अवैध क्लीनिकों का यह जाल स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था का नतीजा है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इन गरीब विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाता है।

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