वन विभाग के नियमों को ताक पर रख कर पूरे क्षेत्र में गैर कानूनी आरा मिलें धड़ल्ले से चलाई जा रही हैं। इससे सरकारी राजस्व का नुकसान तो हो हीं रहा है, वहीं हरे भरे वनों की अवैध रुप से कटाई भी की जा रही है। इससे हरे-भरे पेड़ बिना रोकटोक के काटे जा रहे हैं। हर साल वन विभाग लाखों पेड़ लगाने का दावा भी करता है, लेकिन काटे गए ये पेड़ उन्हें नहीं दिखते। सूत्रों की माने तो बिहपुर प्रखंड क्षेत्र के बभनगामा, मिल्की,बिहपुर आदि कई जगहों पर दर्जनों आरा मिल गैर निबंधित हैं,जो अवैध रूप से संचालित हैं, लेकिन विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। वन विभाग की अनदेखी का यह आलम है कि संचालकों के पास स्टॉक रजिस्टर तक नहीं है।
बभनगामा के एक आरा मिल संचालक नाम सार्वजनिक नहीं करने पर बताते हैं कि लाइसेंस तो दुकान के नाम पर है लेकिन दुकान है हीं नहीं। एक मिल संचालक ने बताया कि हर माह वन अधिकारियों को नजराना देते हैं। इस कारण मिल संचालकों को कोई परेशानी नहीं होती है। सूत्रों की मानें तो अकेले बभनगामा गांव में 7 से 10 आरा मिल वर्तमान में संचालित हैं ।
प्रशासन को है जानकारी पर नहीं होती है कोई कार्रवाई
मिली जानकारी के अनुसार बिहार सरकार 1986 से 1990 के बाद आरा मशीन मिलों को लाइसेंस देना बंद कर दिया गया था। सिर्फ बढ़ई मिस्त्री को बाजार से फांटा खरीद कर उसे काम योग्य बनाने के लिए अपनी ही दुकान में 18 इंच की मशीन का लाइसेंस दिया जाता है। इन 18 इंच की मशीन के लाइसेंस की आड़ में मोटी मोटी हरी एवं गोल लकड़ियां चीरते हैं, जो गैरकानूनी है। इससे सरकारी राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। इन मिल संचालकों के पास स्टॉक रजिस्टर तक नहीं है। मिल संचालक अंधाधुंध कच्ची व हरी लकड़ियां चीरते हैं। कई वर्षों से इन आरा मिलों की जांच नहीं हुई है और न ही कोई भी अधिकारी देखने तक आते हैं।
जांचोपरांत होगी कार्रवाई
भागलपुर डीएफओ श्वेता कुमारी ने बताया पहले सभी ऐसे आरा मिलों की जांच कराई जाएगी। अवैध पाए जाने पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।