“उलझने हैं बहुत…
सुलझा लिया करता हूँ ,
फोटो खिंचवाते वक़्त मैं अक्सर…
मुस्कुरा लिया करता हूँ “
क्यूँ नुमाइश करूँ मैं अपने माथे पर शिकन
की,
मैं अक्सर मुस्कुरा के इन्हें..
मिटा दिया करता हूँ..”
क्यूंकि..
“जब लड़ना है खुद को खुद ही से,
हार-जीत में इसलिए कोई फ़र्क नहीं
रखता हूँ..
हारूं या जीतूं कोई रंज नहीं,
कभी खुद को जिता देता हूँ,
कभी खुद से जीत जाता हूँ…..!!”
@रौशन सनगही